कुर्बानी का त्यौहार बकरीद या ईद-उल-जुहा शनिवार को देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक आस्था और विश्वास के साथ मनाया गया। इस मौके पर सभी मस्जिदों में नमाज पढने के लिए हजारों मुसलमान इकट्ठे हुए।
दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में हजारों लोग इबादत के लिए एकत्र हुए। परंपरा के मुताबिक लोगों ने ईद के मौके पर नए-नए कपडे पहने। इबादत के बाद बकरों की कुर्बानी दी गई और मांस गरीबों में वितरित किया गया। ईद-उल-जुहा मुसलमान कैलेंडर का यह एक महत्वपूर्ण त्यौहार है।
हजरत इब्राहिम द्वारा अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तत्पर हो जाने की याद में इस त्योहार को मनाया जाता है। इस्लाम के विश्वास के मुताबिक अल्लाह हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने उनसे अपने बेटे इस्माइलकी कुर्बानी देने के लिए कहा।
हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आडे आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी। जब उन्होंने पट्टी खोली तो देखा कि मक्का के करीब मिनापर्वत की उस बलि वेदी पर उनका बेटा नहीं, बल्कि दुंबा था और उनका बेटा उनके सामने खडा था। विश्वास की इस परीक्षा के सम्मान में दुनियाभरके मुसलमान इस अवसर पर अल्लाह में अपनी आस्था दिखाने के लिए जानवरों की कुर्बानी देते हैं।
उधर, उत्तर प्रदेश में कुर्बानी का त्यौहार बकरीद परंपरागत आस्था और विश्वास के साथ मनाया गया। हजारों लोग मस्जिदों में इबादत के लिए एकत्रित हुए। लखनऊ में एशबागईदगाह और आसिफीमस्जिद में विशेष इबादत के लिए बडी तादाद में लोग एकत्रित हुए। इबादत के बाद पशुओं विशेष तौर पर बकरे की कुर्बानी दी गई और मांस को परिवार के सदस्यों, मित्रों और गरीबों के बीच वितरित किया गया।
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