Friday, December 4, 2009

Wah Bhahi Wah..

कुर्बानी का त्यौहार बकरीद या ईद-उल-जुहा शनिवार को देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक आस्था और विश्वास के साथ मनाया गया। इस मौके पर सभी मस्जिदों में नमाज पढने के लिए हजारों मुसलमान इकट्ठे हुए।
दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में हजारों लोग इबादत के लिए एकत्र हुए। परंपरा के मुताबिक लोगों ने ईद के मौके पर नए-नए कपडे पहने। इबादत के बाद बकरों की कुर्बानी दी गई और मांस गरीबों में वितरित किया गया। ईद-उल-जुहा मुसलमान कैलेंडर का यह एक महत्वपूर्ण त्यौहार है।
हजरत इब्राहिम द्वारा अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तत्पर हो जाने की याद में इस त्योहार को मनाया जाता है। इस्लाम के विश्वास के मुताबिक अल्लाह हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने उनसे अपने बेटे इस्माइलकी कुर्बानी देने के लिए कहा।
हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आडे आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी। जब उन्होंने पट्टी खोली तो देखा कि मक्का के करीब मिनापर्वत की उस बलि वेदी पर उनका बेटा नहीं, बल्कि दुंबा था और उनका बेटा उनके सामने खडा था। विश्वास की इस परीक्षा के सम्मान में दुनियाभरके मुसलमान इस अवसर पर अल्लाह में अपनी आस्था दिखाने के लिए जानवरों की कुर्बानी देते हैं।
उधर, उत्तर प्रदेश में कुर्बानी का त्यौहार बकरीद परंपरागत आस्था और विश्वास के साथ मनाया गया। हजारों लोग मस्जिदों में इबादत के लिए एकत्रित हुए। लखनऊ में एशबागईदगाह और आसिफीमस्जिद में विशेष इबादत के लिए बडी तादाद में लोग एकत्रित हुए। इबादत के बाद पशुओं विशेष तौर पर बकरे की कुर्बानी दी गई और मांस को परिवार के सदस्यों, मित्रों और गरीबों के बीच वितरित किया गया।
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Napak

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ कमर कस ली है। उन्होंने पाकिस्तान में सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी [सीआईए] को आतंकवादियों के खिलाफ ड्रोन हमले बढ़ाने की गुपचुप रूप से अनुमति दे दी है।
'न्यूयार्क टाइम्स' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सीआईए बलूचिस्तान के दक्षिण प्रांत को ड्रोन हमलों के दायरे में ले सकता है। यहां पर शीर्ष अफगानिस्तान तालिबानी नेताओं के छुपे होने की आशंका है। सीआईए ने पाकिस्तान में अपने अभियान को विस्तृत रूप देने के लिए व्यापक योजना ह्वाइट हाउस को भेजी थी। साथ ही इस मुहिम के लिए एजेंसी का बजट बढ़ाने का भी आग्रह किया था।
सीआईए पाकिस्तान के आतंक प्रभावित कबाइली इलाकों में तालिबान तथा अन्य विदेशी आतंकी गुटों में अपनी पैठ बनाने के लिए और गुप्तचर भी भेजना चाहती है। हालांकि ओबामा प्रशासन इस बात से वाकिफ है कि पाकिस्तान में अमेरिका का दखल बढ़ने से उसका विरोध बढ़ेगा। पाकिस्तान के लोगों को डर है कि अमेरिका उनके देश में अपनी सरकार चलाने के साथ उनके परमाणु हथियारों पर कब्जे की फिराक में है।
रिपोर्ट के मुताबिक ओबामा प्रशासन के अधिकारी पाकिस्तानी सरकार को अपनी शर्तो पर रजामंद करने के लिए सरकार को कमजोर और विभाजित करने का काम कर रहे हैं।
न्यूयार्क टाइम्स ने अधिकारियों के हवाले से कहा, बलूचिस्तान में ड्रोन हमलों की योजना पहले से बनी हुई है। अमेरिका की जनता का मानना है शीर्ष तालीबानी कमांडर अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना पर हमलों का निर्देश वहीं से जारी करते हैं। राष्ट्रपति ओबामा ने भी अलकायदा और उसके आतंकी सहयोगियों के संगठनों को नष्ट करनक के अभियान का समर्थन किया है। पाकिस्तानी नेताओं को इसकी सूचना अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेम्स जोंस ने पाकिस्तान के नेताओं को दी थी।